चिंतन एवं विकास
चिन्तन एक मानसिक प्रक्रिया है और ज्ञानात्मक व्यवहार का जटिल रूप है। यह शिक्षण, स्मरण, कल्पना आदि मानसिक क्षमताओं से जुड़ा रहता है। प्राय: सभी प्राणियों में सोचने समझने एवं चिन्तन करनें की क्षमता होती है परन्तु मनुष्य बुद्धिबल एवं चिन्तनसे अन्य प्राणियों से विकसित प्राणी है। मनुष्य की प्रगति मुख्यत: उसके चिन्तनपर आधारित है और वह इसके उपयोग से वह अपनी कर्इ प्रकार की समस्याओं को हल करता है। सभी मनुष्यों में सोचने एवं समझने की क्षमता समान नहीं होती। किन्हीं में यह क्षमता निम्न स्तर पर होती है तो कर्इ मनुष्यों में यह मध्यम से उच्च स्तरीय होती है। कुछ मनुष्यों में यह क्षमता उच्चतम स्तर तक भी होती है। विचारों के आदान - प्रदान में व्यक्ति चिन्तन का प्रयोग करता है। चिन्तनको इन क्षमताओं से पूर्णतया अलग नहीं किया जा सकता। कर्इ लोगों के अनुसार चिन्तन प्रक्रिया में हमारा मस्तिष्क सक्रिय रहता है तो कर्इ लोगों का यह मानना है कि मस्तिष्क के अतिरिक्त शरीर के अन्य भागों का भी चिन्तनसे संबंध है। अन्य मानसिक प्रक्रियाओं की अपेक्षा चिन्तन अधिक जटिल प्रक्रिया है और यह प्राय: अतीतानुभूतियों पर निर्भर करता है